Monday, January 6, 2020

झूट नहीं छिपता | Akbar birbal ki kahaniya

Akbar Birbal Ki  Kahaniya : इस पोस्ट में अकबर बीरबल की एक प्रसिद्ध कहानी के बारे में बताया गया हैं जिसमे अकबर बीरबल की बुद्धिमता की प्रसंसा करते है |



झूट नहीं छिपता | Akbar birbal ki kahaniya 

बादशाह अकबर अभी आकर दरबार में बैठे ही थे कि तभी दरबार मे एक कसाई और एक तेली आपस में बहस करते हुए आ गए। बादशाह ने बीरबल से कहा, "बीरबल, देखो यह क्यों बहस कर रहे हैं?" "जी हुजूर।" कहते हुए बीरबल उठ खड़े हुए पूछा, "तुम दोनों में से शिकायत लेकर कौन आया है?"


akbar birbal ki kahani
Akbar birbal ki kahani


 तेली थोड़ा आगे बढ़कर बोला, "शिकायत लेकर मैं आया हूं हूजूर।" "हां, तो झगड़े का कारण क्या है?" बीरबल ने पूछा। तेली रोनी-सी सूरत बनाकर बोला , "हुजूर, मैं अपनी दुकान पर बैठा बहीखाता देख रहा था, उसी समय कसाई ने आकर मुझसे तेल मांगा। मैंने इसे तेल दे दिया और चला गया| फिर मैं बहीखाता देखने लगा। कछ समय बाद जब मेरी नजर सामने गई तो पैसों की थैली गायब थी। मुझे इस कसाई पर संदेह हुआ और मैं दौड़ा-दौड़ा इसके पास गया तो मैंने अपनी थैली इसके हाथ में देखी । मैंने इससे अपनी थैली मांगी तो डसने थैली देने से मना करते हुए कहा कि यह थैली इसकी है।


मैं सच बोल रहा हूं, हूजूर। अब आप ही इंसाफ करें। " बीरबल ने कसाई से पूछा, "तुम्हारा क्या कहना है?" कसाई डरी-सहमी आवाज में बोला, "हुजूर, मैं जो कुछ भी कहूंगा सच कहूंगा, सच के सिवा कुछ नहीं कहूंगा- हुजूर, मैं अपनी दुकान पर बैठा पैसे गिन रहा था, तभी यह तेली रोज की तरह तेल बेचने के लिए मेरी आया। इसकी दुकान से दो-तीन दुकानों की दुकान दूरी पर है। पैसों की थैली मैंने पास में ही रखी थी। इसके जाने के बाद जब मेरी थैली नहीं दिखी तो मैंने दौड़कर इसे पकड़ा और इसके हाथ से अपनी थैली छीन ली। सच्चाई यही है, हुजूर। इस बात का गवाह खुदा है। अब सही या गलत का इंसाफ आपको करना है ।"

बीरबल ने पैसों की थैली अपने पास रख ली और उनसे कहा, "फैसला कल होगा। तुम दोनों घर जाओ।" उन दोनों के चले जाने के बाद बीरबल ने थैली के पैसे धुलवाए तो उनमें तेल थोड़ा-सा भी नजर नहीं आया बल्कि मांस की दुर्गध आई, जिससे उन्हें यकीन हो गया कि यह थैली और पैसे दोनों ही कसाई के हैं । दूसरे दिन दरबार लगा। दरबार में कसाई और तेली हाजिर हुए |


बीरबल ने उन्हें अपना फैसला सुनाया तो तेली चीखने चिल्लाने लगा। बीरबल ने सिपाही से कहा, "तेली की पीठ पर 100 कोड़े बरसाए जाएं।' बीरबल ने जैसे ही उसे कोड़े लगाने का हुक्म दिया उसने तुरंत अपना अपराध स्वीकार कर लिया। पैसों की थेली कसाई को दे दी गई। तेली को दंडित करके छोड़ दिया गया। बादशाह ने कहा, "बहुत खूब बीरबल, हम तुम्हारे इस न्याय से बहुत खुश हैं । " झूठ कभी छिपता नहीं है, वह एक दिन पकड़ा ही जाता है |

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