Akbar Birbal ki Hindi Kahaniyan : इस पोस्ट में अकबर बीरबल की प्रसिद्ध कहानी लिखी गई है जिससे बीरबल की बुद्धिमत्ता का पता चलता है |
बादशाह और बीरबल महल के सामने वाले बाग में बैठे बातें कर रहे थे। तभी बादशाह अकबर ने कहा, "पत पांच होते हैं- पानीपत, बलपत, इंद्रपत, बागपत, सोनीपत।" बीरबल मुस्करा पड़े, फिर बड़े ही गंभीर होकर बोले, "जहांपनाह, दो पत और भी होते हैं।" बादशाह चौंकते हुए बोले, "बीरबल, अब तुम किस पत की बात कर रहे हो?" "जहांपनाह!" बीरबल ने कहा, "मैं ठीक ही तो कह रहा हूँ। दो और पत होते हैं- रखपत तथा रखापत।'
बादशाह ने चौंकते हुए कहा, "तुम क्या कह रहे हो, बीरबल?मैं तो कुछ भी नहीं समझा? बीरबल ने कहा, "हुजूर, इंसानियत की परख इन्हीं पतों से होती है। जब व्यक्ति दूसरों की इज्जत की हिफाजत करता है, तभी उसकी भी इन्जत की हिफाजत होती है।" इसी को रखपत और रखापत कहते हैं। अकबर बादशाह बहुत खुश हुए और बोले, बीरबल, रखपत और रखापत का मतलब मैं अब समझ गया।" जब हम किसी की इज्जत करते हैं, तभी हमारी भी इज्जत होती है।
शहंशाह अकबर बेगमों के साथ बगीचे में फूल श तोड़ रहे थे। बादशाह को ढूंढ़ते हुए बीरबल भी बगीचे में आ गए। एक बेगम ने शहंशाह से कहा, "शहंशाह, आपका दीवान बड़ा ही बातूनी और मसखरा भी है। हम उससे सवाल पूछना चाहते हैं।" बादशाह ने बीरबल को इशारे से बुलाया। बीरबल ने समझा कि बादशाह ने फूल तोड़ने के लिए बुलाया है। वह भी चुपचाप फूल तोड़कर डलिया में रखने लगे। एक बेगम ने चुटकी लेते हुए कहा, "यह मजदूर तो बिना मजदूरी के ही फूल तोड़कर डलिया में डालने लगा।" हाजिरजवाब बीरबल ने झट से कहा, "बेगम साहिबा, एक मजदूर तो पहले से ही काम पर लगा है। जो मजदूरी आप उसे दें, वही मुझे भी दे देना।" बेगम शर्म से लाल हो गई और बादशाह अकबर मुस्करा पड़े। बीरबल से फिर किसी ने मजाक नहीं किया।
शहंशाह अकबर ने एक बार बीरवल से कहा, । "बीरवल, क्या तुम ऐसे प्राणी ला सकते हो, जिनमें से एक उपकार को पानता हो और दूसरा उपकार के बदले अपकार करने की सोचता हो? बीरवल देर तक चुप रहे, फिर 'हां' में सिर हिलाकर चले गए। दसरे दिन बीरवल एक कुत्ता और अपने दामाद को लेकर दरवार में आए। फिर वह सिर झुकाकर बादशाह अकबर से बोले, "हजूर, मैं दोनों प्राणियों को लेकर आया हूं। इनमें दोनों ही गुन हैं।
" बादशाह अकबर ने कहा,"ठीक है, लेकिन हमें इनके गुणों का पता कसे चलेगा?" बीरवल बोले, "जहांपनाह, यह कुत्ता है केवल रोटी का एक टुकड़ा खाकर मरते दम तक अपने स्वामी की रखवाली करता है। इसे डंडे से पीटकर मालिक घर से भगा देता है तब भी यह बुलाने पर भागा-भागा चला आता है और उसी ईमानदारी के साथ मालिक को हर खतरे से बचाता है।" बीरवल यह कहकर चुप हो गए। शहंशाह अकबर बोले, 'और दूसरा प्राणी?" बीरबल थमती आवाज में बोले, "हजूर, यह मेरा दामाद है। इसका स्वभाव ऐसा है कि लड़की का पिता अपना सबकुछ इसे क्यों न दे दे और स्वयं फकीर ही क्यों न बन जाए, फिर भी इसे चैन नहीं मिलता।
' अकबर बीरबल की बातें सुनकर क्रोधित हो गए और दामाद को गुस्से से घूरते हुए कहा, "ले जाओ, दामाद को सूली पर लटका दो और कुत्ते को दूध पिलाओ।" बादशाह का हुक्म सुनते ही बीरबल का पसीना छूट गया। वह सिर झुकाकर नम्र स्वर में बोले, "हुजूर, मेरी बात को समझें। मैंने जो भी कुछ कहा, वह केवल अपने दामाद के ने लिए नहीं कहा, मैंने तो दुनिया के सारे दामादों की बात कही को है। जहांपनाह, क्या मेरे दामाद को ही दंडित करना उचित से होगा? आप भी तो किसी के दामाद हैं या यहां पर जितने भी लोग हैं, सब किसी न किसी के तो दामाद हैं ही।" बादशाह अकबर अचानक ही सहम गए और उन्होंने अपना हुक्म वापस ले लिया।
शहंशाह अकबर किसी बात को लेकर अपनी २ बेगम से खफा हो गए और हुक्म दे दिया कि वह महल छोड़कर चली जाएं। बेगम काफी चिंतित हो गई और उन्होंने शहंशाह को मनाने की बहुत कोशिश की, पर बादशाह पर कोई फर्क नहीं पड़ा। बहुत सोचने- विचारने के बाद बेगम ने बादशाह की आज्ञा का पालन करना ही ठीक समझा। अपनी बांदी से सामान बांधने को कहकर बेगम स्वयं बादशाह के पास आकर उनसे माफी मांगने लगीं। बादशाह को उन पर थोड़ी-सी भी दया नहीं आई। वह बेगम से बोले, "बेगम, तुम चाहो तो महल से अपनी पसंद की चीज ले जा सकती हो।
" बेगम की बेचैनी और भी अधिक बढ़ गई। वह समझ नहीं पा रही थीं कि अब क्या करें? तभी उन्हें बीरबल की याद आई, फिर बेगम ने बीरबल को दरबार में बुलाया। ने जब सारी बातें सुन लीं तब बेगम ने कहा, "बीरबल, बादशाह को खुश करने का कोई उपाय हो तो बताओ।' बीरबल मुस्कराए और उन्हें एक उपाय बताकर चले गए। अब बेगम का सारा सामान गाड़ियों पर रखा जाने लगा। बेगम के लिए डोली सजाई जाने लगी। डोली में बैठने से पहले बेगम बादशाह अकबर के पास आई और रोनी-सी सूरत बनाकर बोलीं, "जहांपनाह, जब छोड़कर सदा के लिए जा ही रही हूं तो आप मेरी अंतिम इच्छा स्वीकार कर लीजिए। मैं अपने हाथों से आपको एक गिलास शर्बत पिल ना चाहती हूं, न मालूम फिर कभी कभी आपसे मिलना हो या न हो।" इस बार बादशाह अकबर का दिल पसीज गया। उन्होंने सहर्ष आज्ञा दे दी। बेगम ने आज्ञा मिलते ही बादशाह को प्रेमपूर्वक शर्बत पिलाया। शर्बत में पहले से ही नशीली दवा मिली हुई थी।
बादशाह शर्बत पीते ही नशे के कारण सो गए। मौका मिलते ही बेगम एक डोली में बादशाह को लेटाकर स्वयं उनके साथ बैठ गई। बादशाह की नींद टूटी, तब स्वयं को बेगम के साथ एक अनजान जगह पर देखकर बादशाह अकबर की समझ में कुछ भी नहीं आया। बेगम शहंशाह को पंखे से हवा करते हुए मुस्करा रही थीं। बादशाह अकबर ने बेगम से पूछा, "'हम कहां हैं और आप हमें यहां किसके हुक्म से लाई हैं?'" बेगम ने सिर झुकाकर नरम आवाज में कहा, "जहांपनाह, आपने ही तो हुक्म दिया था कि मैं महल से अपनी पसंद की चीज साथ ले जा सकती हूं। हुजूर, इस दुनिया में ऐसी कोई भी चीज नहीं, जो मुझे आपसे अधिक पसंद हो। महल में जो मुझे सबसे अधिक पसंद है, वह आप हैं इसीलिए मैं आपको अपने साथ लाई।" बेगम के इतना कहते ही बादशाह का गुस्सा काफूर हो गया और उन्होंने वेगम को क्षमा कर दिया। महल में वापस आने पर बेगम ने बीरबल को हीरे-जवाहरात दिए और उनका बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।
एक बार की बात हैं कि शहंशाह अकबर और बीरबल बगीचे में टहल रहे थे अचानक बादशाह के दिमाग में एक सवाल आ गया। वह बीरबल की ओर देखते हुए बोले, "बीरबल इस संसार में कोई गरीब है और कोई अमीर है। क्या बता सकते हो ऐसा क्यों है? खुदा तो समदर्शी है और वह सबका ही मालिक है और सभी उसकी संतान है। एक पिता तो अपनी संतान का सदा भला चाहता है और सभी को एक समान देखता है । फिर खुदा परम पिता होकर क्यों किसी को अमीर बना देता है और किसी को दो जन की रोटी के लिए भी तरसाता है?' बादशाह अकबर यह कहकर चुप हो गए।
बीरवल बहुत सोचने के बाद बोले, "हुजूर , खुदा ऐसा न करे तो कोई उसे खुदा मानेगा ही नहीं। दुनिया में पांच पिता होते हैं । आप भी उन पांच में से एक हैं अर्थात् अपनी प्रजा के पिता हैं। आप तो किसी को दो सौ. किसी को चार सौ, किसी को सौ तो किसी को डेढ सौ और किसी को कवल चार-पांच रुपये की तनख्वाह देते हैं। जहांपनाह, आप ऐसा क्यों करते हैं? सबको एक नजर से क्यों नहीं देखते?" बादशाह अकबर निरूत्तर हो गए और काफी सोच में पड़ गए। बीरबल समझ गए कि बादशाह असमंजस की स्थिति में हैं । अत: बीरवल वोले, "हुजुर, इसमें इतना दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है।
जो जिस तरह का काम करता है, वैसी ही उसको मजदूरी मिलती है और संसार ऐसे ही चलता है। यदि ऐसा न हो तो संसार चल ही नहीं सकता। ईश्वर कर्मों के अनुसार फल देता है। उसकी यह इच्छा कभी नहीं होती कि संसार के प्राणी दुःख उठाएं। ईश्वर तो सबका भला चाहता है, अब कोई उसके वताए रास्ते पर नहीं चलता है तो उसे उसके कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। जो परिश्रम करता है, अच्छा कर्म करता वह धनवान बनता है और जो कामचोर होता है, वह गरीब होता है। ईश्वर तो वही देता है, जो हम करते हैं, हजूर।" बीरवल की वातों से अकबर बादशाह खुश हो गए और बीरबल की तारीफ करते हुए अपने महल की ओर लौट गए।
एक साधु को तोते पालने का शौक था वह नित्य एक नया तोता जंगल से पकड़कर ले आता और उसे अच्छी-अच्छी बातें सिखाकर शहर के रईसों को दे देता। रईस बदले में उसे कुछ धन दे देते थे और उस धन से वह साधु अपना और अपने शिष्यों का पालन - पोषण करता था। एक बार साधु ने एक ऐसा तोता पकड़ा, जो होशियार और तेज दिमाग का था। वह तोता कम समय में ही बहुत कुछ सीख गया। साधु बहुत ही खुश हुआ कि उस तोते से उसे काफी धन प्राप्त होगा। साधु ने निश्चय किया कि यह तोता बादशाह के पास होना चाहिए। उन्हें इसे भेंटकरके वह अधिक से अधिक धन प्राप्त कर सकेगा। तोता जब पूरी तरह से सीख-पढ़ गया तब एक दिन साधु दरबार में पहुंचा और बादशाह अकबर को सप्रेम भेंट कर दिया।
बादशाह ने तोते को बहुत पसंद किया, क्योंकि वह तोता सवाल पूछने पर जवाब भी देता था। बादशाह अपने एक सेवक को वह तोता सौंपते हुए कहा, "तुम्हे इस बात का पूरा ध्यान रखना है कि तोते के स्वभाव में किसी भी तरह का दोष न आने पाए। जो भी हमें यह खबर देगा कि तोता मर गया है, वह अपनी जान से जाएगा। सेवक ने तोते को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में रखना शुरू कर दिया। फिर भी एक दिन तोते की अचानक ही मृत्यु हो गई। सेवक को जब बादशाह की चेतावनी याद आई तो वह काफी घबरा गया और सीधे बीरबल के पास चला गया| एक सांस में ही उसने बीरबल को सारी कहानी कह सुनाई। चतुर बीरबल वोले, " तुम चिंता न करो और अपने काम मे लगे रहो।' यह कहकर बीरबल अकबर बादशाह के यहां पहुंच गए और अचानक ही कहने लगे, "जहांपनाह, तोते ने तो.... शहंशाह कुछ समझ न सके और घबराई हुई आवाज में बोले, "बीरबल, क्या बक रहे हो? तोता तो ठीक है न?
कहीं वह मर तो नहीं गया ?" बीरबल बोले, "हजूर, कैसी बात कर रहे हैं। तोता मरा नहीं, उसने समाधि ले ली है। आज सुबह से न कुछ खा रहा है, न पी रहा है, न बोल रहा है, न देख रहा है और न पंख फड़फड़ा रहा है।" अकबर बादशाह यह सुनकर चौंक पड़े और उठकर जहां तोता था, उधर बढ़ गए। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि तोता वास्तव में ही मर गया है। अकबर बादशाह बहुत दुःखी हुए और बीरवल से कहने लगे, 'बीरबल, क्या तुम यह नहीं कह सकते थे कि तोता मर गया है?" बीरवल सिर झुकाकर बोले, 'हुजूर, मैं यह कैसे कहता कि तोता मर गया है। क्या आपकी चेतावनी मुझे याद नहीं कि 'तोता मर गधा है' की खबर देकर अपनी जान गंवाता?" बीरबल के इतना कहने पर बादशाह को अपनी चेतावनी याद आई लेकिन बीरबल की बुद्धिमत्ता के आगे वह निरूत्तर रह गए ।
बादशाह अकबर को बुढ़ापे में न जाने कैसे शराब की लत लग गई। रात में जब वह अपने नवरतनों के साथ होते तो उनसे छिपकर थोड़ी-सी पी लेते थे। एक रोज बीरबल ने बादशाह अकबर को शराब पीते हुए देख लिया। उस समय तो बीरबल ने कुछ नहीं कहा लेकिन एक रोज वह उस कमरे में पहुंच गए, जहां बादशाह शराब रखते थे। बीरबल ने कमरे की चीजों को इधर-उधर बिखेरकर शराब की बोतल को दुशाले से ढककर बगल में दबाया और धीरे से बाहर निकल गए। बादशाह देख अकबर ने बीरबल को कमरे से निकलते लिया लेकिन वह यह सोचकर शांत ही रहे कि बीरबल किसी काम से कमरे में गए होंगे। लेकिन फिर भी बादशह को तसल्ली नहीं हुई तो उन्होंने बीरबल को बुलाया।
बीरबल अकबर बादशाह के सामने बगल में शराब की बोतल दबाए आ खड़े हुए। बादशाह ने बीरबल को गौर से देखते हुए पूछा, "बीरबल, तुम्हारी बगल में क्या है?" बीरबल बोले, "हुजूर, क्या कह रहे हैं? कुछ भी तो नहीं है। बीरबल की बातों पर अकबर को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने दोबारा वही सवाल कर दिया। बीरबल बोले, "हजूर, मेरी बगल में तोता है ।" अकबर बादशाह बीरबल पर नाराज हो गए और थोड़ी ऊंची आवाज में बोले, "बीरबल, यह मेरा हुक्म है। सच बोलो, क्या है?" बीरबल सिर झुकाकर बड़ी अदब से बोले, "हुजूर, घोड़ा है।" बादशाह अकबर आश्चर्य में पड़ गए और कहने लगे, "बीरबल, आज तुम कोई नशा तो करके नहीं आए हो? उलटा-पुलटा क्या बक रहे हो, सच क्यों नहीं बोलते?" बीरबल बेखौफ होकर बोले- 'हुजूर, हाथी है।
' अकबर बादशाह भौंहें चढ़ाते हुए बोले, "बीरबल, इस बदतमीजी की सजा क्या है, तुम्हें मालूम भी है। बोलो, तुम्हारी बगल में क्या है?" बीरबल बादशाह अकबर के क्रोध से बेखबर बोले, "हुजूर, गधा है।" बादशाह अकबर बीरबल को दंडित भी तो नहीं कर सकते थे। क्योंकि वह उनके नवरत्नों में से एक थे। वह शांत स्वर में बोले, "बीरबल, पहेलियां क्यों हो?क्या है तुम्हारी बगल में?" बीरबल इस बार सच बोले, "शराब है, हुजूर।" यह बोलकर बीरबल ने बगल से बोतल निकाली और बादशाह के सामने रख दी। बादशाह अकबर को बड़ा ही आश्चर्य हुआ और उन्होंने मन-ही -मन सोचा, "अच्छा, तो बीरबल भी शराब पीते हैं?" यह सोचते हुए अकबर ने एक सेवक से कहा, "बीरबल को आराम से घर पहुंचा देना।" अकबर बादशाह के मन में यह बात थी कि बीरबल आज होश में नहीं हैं। उन्होंने अवश्य ही शराब पी है।
बीरबल चुपचाप घर आ गए। शाम के समय जब नवरलों की महफिल जमी तो बीरबल भी महफिल में आ गए। बादशाह अकबर को बड़ा ही ताज्जुब हुआ। उन्होंने बीरबल से पूछा, "अब आपकी तबीयत कैसी है, बीरबल?' बीरबल चौंकते हुए बोले, "हुजूर, मेरी तबीयत को क्या हुआ था?" अकबर बादशाह बोले, "बीरबल तुम ठीक-ठाक न होते तो क्या शराब की बोतल बगल में छिपाकर पूछने पर यह बोलते कि घोड़ा है, हाथी है, गधा है, तोता है ?" बीरबल तो मौके की ही तलाश में थे बड़े ही शांत स्वर में बोले, "हजुर, मैं उस समय न तो बेहोश था और न ही मदिरापान किया था लेकिन जो कुछ भी बोला था, वह बिल्कुल सच था।" "तुम होश में तो हो, बीरबल?" अकबर बादशाह ने बीरबल को देखते हुए पूछा। "हुजूर, गुस्सा न करें।
पहली बार जब आपने पूछा कि बगल में क्या है तो मैंने कहा, कुछ नहीं। हुजूर, यह ठीक ही तो है- पहला प्याला पीने पर आदमी को पता नहीं चलता, किंतु दूसरा प्याला पीते ही उसकी आवाज तुतलाने लगती है। मैंने आपके दोबारा पूछने पर इसीलिए तो कहा था- तोता है। शराब का तीसरा प्याला गले से नीचे उतरते ही आदमी घोड़े की तरह हिनहिनाने लगता है, इसीलिए तीसरी बार पूछने पर मैंने कहा था, घोड़ा है। चौथा प्याला गले से नीचे उतरते ही आदमी मतवाला हो जाता है, इसीलिए आपके चौथी बार पूछने पर मैंने कहा था, बगल में हाथी है। पांचवीं बार जब आपने पूछा कि बगल में क्या है तब मेरा जवाब गधा था, क्योंकि पांचवां प्याला हलक से उतरते ही आदमी गधा बन जाता है। जो चाहो उससे करवा लो।
जो चाहो. उप पर लाद दो या नाली में फेंक दो। छठवां प्याला हलक से उतरते ही आदमी अपना होश खो देता है, इसीलिए जब आपने छठवीं बार पूछा तो मैंने पूरी बोतल ही आपके सामने रख दी।' अपनी हाजिरजवाबी के लिए मशहूर चतुर बीरबल को अकबर ने उठकर गले से लगा लिया। फिर वह उस कमरे में चले गए जहां उन्होंने शराब की बोतल रखी थी। बोतल वहां नहीं थी और कमरे की चीजें बिखरी हुई थीं। बादशाह अकबर को यह समझने में देर न लगी कि यह सब बीरबल का लिए ही किया धरा है और उन्होंने बर ने मेरे भले के लिए ही इतना सबकुछ कमरे में किया। इसके बाद तो अकबर बीरबल बोतल से और भी अधिक प्रभावित हुए और न सिर्फ ई थीं । उन्हें इनाम से नवाजा, बल्कि बादशाह ने शराब पीनी गी कि भी छोड़ दी।
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बादशाह ने चौंकते हुए कहा, "तुम क्या कह रहे हो, बीरबल?मैं तो कुछ भी नहीं समझा? बीरबल ने कहा, "हुजूर, इंसानियत की परख इन्हीं पतों से होती है। जब व्यक्ति दूसरों की इज्जत की हिफाजत करता है, तभी उसकी भी इन्जत की हिफाजत होती है।" इसी को रखपत और रखापत कहते हैं। अकबर बादशाह बहुत खुश हुए और बोले, बीरबल, रखपत और रखापत का मतलब मैं अब समझ गया।" जब हम किसी की इज्जत करते हैं, तभी हमारी भी इज्जत होती है।
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' अकबर बीरबल की बातें सुनकर क्रोधित हो गए और दामाद को गुस्से से घूरते हुए कहा, "ले जाओ, दामाद को सूली पर लटका दो और कुत्ते को दूध पिलाओ।" बादशाह का हुक्म सुनते ही बीरबल का पसीना छूट गया। वह सिर झुकाकर नम्र स्वर में बोले, "हुजूर, मेरी बात को समझें। मैंने जो भी कुछ कहा, वह केवल अपने दामाद के ने लिए नहीं कहा, मैंने तो दुनिया के सारे दामादों की बात कही को है। जहांपनाह, क्या मेरे दामाद को ही दंडित करना उचित से होगा? आप भी तो किसी के दामाद हैं या यहां पर जितने भी लोग हैं, सब किसी न किसी के तो दामाद हैं ही।" बादशाह अकबर अचानक ही सहम गए और उन्होंने अपना हुक्म वापस ले लिया।
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साधू का तोता | Moral Stories in Hindi For Children
एक साधु को तोते पालने का शौक था वह नित्य एक नया तोता जंगल से पकड़कर ले आता और उसे अच्छी-अच्छी बातें सिखाकर शहर के रईसों को दे देता। रईस बदले में उसे कुछ धन दे देते थे और उस धन से वह साधु अपना और अपने शिष्यों का पालन - पोषण करता था। एक बार साधु ने एक ऐसा तोता पकड़ा, जो होशियार और तेज दिमाग का था। वह तोता कम समय में ही बहुत कुछ सीख गया। साधु बहुत ही खुश हुआ कि उस तोते से उसे काफी धन प्राप्त होगा। साधु ने निश्चय किया कि यह तोता बादशाह के पास होना चाहिए। उन्हें इसे भेंटकरके वह अधिक से अधिक धन प्राप्त कर सकेगा। तोता जब पूरी तरह से सीख-पढ़ गया तब एक दिन साधु दरबार में पहुंचा और बादशाह अकबर को सप्रेम भेंट कर दिया।
बादशाह ने तोते को बहुत पसंद किया, क्योंकि वह तोता सवाल पूछने पर जवाब भी देता था। बादशाह अपने एक सेवक को वह तोता सौंपते हुए कहा, "तुम्हे इस बात का पूरा ध्यान रखना है कि तोते के स्वभाव में किसी भी तरह का दोष न आने पाए। जो भी हमें यह खबर देगा कि तोता मर गया है, वह अपनी जान से जाएगा। सेवक ने तोते को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में रखना शुरू कर दिया। फिर भी एक दिन तोते की अचानक ही मृत्यु हो गई। सेवक को जब बादशाह की चेतावनी याद आई तो वह काफी घबरा गया और सीधे बीरबल के पास चला गया| एक सांस में ही उसने बीरबल को सारी कहानी कह सुनाई। चतुर बीरबल वोले, " तुम चिंता न करो और अपने काम मे लगे रहो।' यह कहकर बीरबल अकबर बादशाह के यहां पहुंच गए और अचानक ही कहने लगे, "जहांपनाह, तोते ने तो.... शहंशाह कुछ समझ न सके और घबराई हुई आवाज में बोले, "बीरबल, क्या बक रहे हो? तोता तो ठीक है न?
कहीं वह मर तो नहीं गया ?" बीरबल बोले, "हजूर, कैसी बात कर रहे हैं। तोता मरा नहीं, उसने समाधि ले ली है। आज सुबह से न कुछ खा रहा है, न पी रहा है, न बोल रहा है, न देख रहा है और न पंख फड़फड़ा रहा है।" अकबर बादशाह यह सुनकर चौंक पड़े और उठकर जहां तोता था, उधर बढ़ गए। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि तोता वास्तव में ही मर गया है। अकबर बादशाह बहुत दुःखी हुए और बीरवल से कहने लगे, 'बीरबल, क्या तुम यह नहीं कह सकते थे कि तोता मर गया है?" बीरवल सिर झुकाकर बोले, 'हुजूर, मैं यह कैसे कहता कि तोता मर गया है। क्या आपकी चेतावनी मुझे याद नहीं कि 'तोता मर गधा है' की खबर देकर अपनी जान गंवाता?" बीरबल के इतना कहने पर बादशाह को अपनी चेतावनी याद आई लेकिन बीरबल की बुद्धिमत्ता के आगे वह निरूत्तर रह गए ।
शराब का शौक | Hindi Kahaniya for Kids
Hindi Stoires For Kids |
बादशाह अकबर को बुढ़ापे में न जाने कैसे शराब की लत लग गई। रात में जब वह अपने नवरतनों के साथ होते तो उनसे छिपकर थोड़ी-सी पी लेते थे। एक रोज बीरबल ने बादशाह अकबर को शराब पीते हुए देख लिया। उस समय तो बीरबल ने कुछ नहीं कहा लेकिन एक रोज वह उस कमरे में पहुंच गए, जहां बादशाह शराब रखते थे। बीरबल ने कमरे की चीजों को इधर-उधर बिखेरकर शराब की बोतल को दुशाले से ढककर बगल में दबाया और धीरे से बाहर निकल गए। बादशाह देख अकबर ने बीरबल को कमरे से निकलते लिया लेकिन वह यह सोचकर शांत ही रहे कि बीरबल किसी काम से कमरे में गए होंगे। लेकिन फिर भी बादशह को तसल्ली नहीं हुई तो उन्होंने बीरबल को बुलाया।
बीरबल अकबर बादशाह के सामने बगल में शराब की बोतल दबाए आ खड़े हुए। बादशाह ने बीरबल को गौर से देखते हुए पूछा, "बीरबल, तुम्हारी बगल में क्या है?" बीरबल बोले, "हुजूर, क्या कह रहे हैं? कुछ भी तो नहीं है। बीरबल की बातों पर अकबर को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने दोबारा वही सवाल कर दिया। बीरबल बोले, "हजूर, मेरी बगल में तोता है ।" अकबर बादशाह बीरबल पर नाराज हो गए और थोड़ी ऊंची आवाज में बोले, "बीरबल, यह मेरा हुक्म है। सच बोलो, क्या है?" बीरबल सिर झुकाकर बड़ी अदब से बोले, "हुजूर, घोड़ा है।" बादशाह अकबर आश्चर्य में पड़ गए और कहने लगे, "बीरबल, आज तुम कोई नशा तो करके नहीं आए हो? उलटा-पुलटा क्या बक रहे हो, सच क्यों नहीं बोलते?" बीरबल बेखौफ होकर बोले- 'हुजूर, हाथी है।
' अकबर बादशाह भौंहें चढ़ाते हुए बोले, "बीरबल, इस बदतमीजी की सजा क्या है, तुम्हें मालूम भी है। बोलो, तुम्हारी बगल में क्या है?" बीरबल बादशाह अकबर के क्रोध से बेखबर बोले, "हुजूर, गधा है।" बादशाह अकबर बीरबल को दंडित भी तो नहीं कर सकते थे। क्योंकि वह उनके नवरत्नों में से एक थे। वह शांत स्वर में बोले, "बीरबल, पहेलियां क्यों हो?क्या है तुम्हारी बगल में?" बीरबल इस बार सच बोले, "शराब है, हुजूर।" यह बोलकर बीरबल ने बगल से बोतल निकाली और बादशाह के सामने रख दी। बादशाह अकबर को बड़ा ही आश्चर्य हुआ और उन्होंने मन-ही -मन सोचा, "अच्छा, तो बीरबल भी शराब पीते हैं?" यह सोचते हुए अकबर ने एक सेवक से कहा, "बीरबल को आराम से घर पहुंचा देना।" अकबर बादशाह के मन में यह बात थी कि बीरबल आज होश में नहीं हैं। उन्होंने अवश्य ही शराब पी है।
बीरबल चुपचाप घर आ गए। शाम के समय जब नवरलों की महफिल जमी तो बीरबल भी महफिल में आ गए। बादशाह अकबर को बड़ा ही ताज्जुब हुआ। उन्होंने बीरबल से पूछा, "अब आपकी तबीयत कैसी है, बीरबल?' बीरबल चौंकते हुए बोले, "हुजूर, मेरी तबीयत को क्या हुआ था?" अकबर बादशाह बोले, "बीरबल तुम ठीक-ठाक न होते तो क्या शराब की बोतल बगल में छिपाकर पूछने पर यह बोलते कि घोड़ा है, हाथी है, गधा है, तोता है ?" बीरबल तो मौके की ही तलाश में थे बड़े ही शांत स्वर में बोले, "हजुर, मैं उस समय न तो बेहोश था और न ही मदिरापान किया था लेकिन जो कुछ भी बोला था, वह बिल्कुल सच था।" "तुम होश में तो हो, बीरबल?" अकबर बादशाह ने बीरबल को देखते हुए पूछा। "हुजूर, गुस्सा न करें।
पहली बार जब आपने पूछा कि बगल में क्या है तो मैंने कहा, कुछ नहीं। हुजूर, यह ठीक ही तो है- पहला प्याला पीने पर आदमी को पता नहीं चलता, किंतु दूसरा प्याला पीते ही उसकी आवाज तुतलाने लगती है। मैंने आपके दोबारा पूछने पर इसीलिए तो कहा था- तोता है। शराब का तीसरा प्याला गले से नीचे उतरते ही आदमी घोड़े की तरह हिनहिनाने लगता है, इसीलिए तीसरी बार पूछने पर मैंने कहा था, घोड़ा है। चौथा प्याला गले से नीचे उतरते ही आदमी मतवाला हो जाता है, इसीलिए आपके चौथी बार पूछने पर मैंने कहा था, बगल में हाथी है। पांचवीं बार जब आपने पूछा कि बगल में क्या है तब मेरा जवाब गधा था, क्योंकि पांचवां प्याला हलक से उतरते ही आदमी गधा बन जाता है। जो चाहो उससे करवा लो।
जो चाहो. उप पर लाद दो या नाली में फेंक दो। छठवां प्याला हलक से उतरते ही आदमी अपना होश खो देता है, इसीलिए जब आपने छठवीं बार पूछा तो मैंने पूरी बोतल ही आपके सामने रख दी।' अपनी हाजिरजवाबी के लिए मशहूर चतुर बीरबल को अकबर ने उठकर गले से लगा लिया। फिर वह उस कमरे में चले गए जहां उन्होंने शराब की बोतल रखी थी। बोतल वहां नहीं थी और कमरे की चीजें बिखरी हुई थीं। बादशाह अकबर को यह समझने में देर न लगी कि यह सब बीरबल का लिए ही किया धरा है और उन्होंने बर ने मेरे भले के लिए ही इतना सबकुछ कमरे में किया। इसके बाद तो अकबर बीरबल बोतल से और भी अधिक प्रभावित हुए और न सिर्फ ई थीं । उन्हें इनाम से नवाजा, बल्कि बादशाह ने शराब पीनी गी कि भी छोड़ दी।
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