Friday, January 17, 2020

सौ के बदले डेढ सौ अशर्फियां | Akbar Birbal ki Kahani

Akbar Birbal ki Kahani : इस पोस्ट में अकबर बीरबल की प्रसिद्ध कहानी लिखी गई है जिससे बीरबल की बुद्धिमत्ता का पता चलता है |



Akbar Birbal ki Kahani
Akbar Birbal ki Kahani

सौ के बदले डेढ सौ अशर्फियां | Akbar Birbal 

बादशाह अकबर दरबार में बैठे हुए दरबारियों से बातचीत कर रहे थे। इसी बीच दरबार में दो व्यक्तियों को हाजिर किया गया। बादशाह ने उन दोनों को गौर से देखा । पहला आदमी बोला, "जहांपनाह, इस आदमी ने मुझसे सौ अशर्फियां कर्ज ली थीं, किंतु अब देने से मना कर रहा है।" दूसरा आदमी अपनी सफाई में बोला, 'मेरे मालिक, उन इस आदमी से मैंने कभी भी कोई लेन-देन नहीं किया। मैंने इससे कोई कर्ज नहीं लिया है। इसका आरोप कर्ज निराधार और झूठा है।"

शहशाह अकबर दोनों की बातें सुनकर दुविधा में पड़ गए और बीरबल से बोले, "बीरबल, अब तुम ही सच-झूठ का फैसला करो।" बीरबल पहले आदमी से बोले, "यह बताओ, तुमने इसे अशर्फियां कहां पर दी थीं?" "हुजूर बबूल के पेड़ के नीचे।" पहले आदमी ने 46 जवाब में कहा। "वह बबूल का पेड़ कहां पर है?" बीरबल ने जानना चाहा। "वह बबूल का पेड़ जंगल में है, हुजूर।

आदमी बोला। पहला बीरबल ने बड़ी चतुराई से कहा, "ठीक है, तुम जाओ और उस पेड़ को दरबार में हाजिर करो।" पहला आदमी बदहवास-सा जंगल की ओर दोड़ता चला गया। काफी समय बीत जाने के बाद भी जब पहुला आदमी लौटकर दरबार में नहीं आया तब बीरबल ने कहा, "हुजूर , उस आदमी ने आने में बड़ी देर कर दी। दरबार का कीमती समय बर्बाद हो रहा है।

जहांपनाह, आप अपना फैसला सुनाइए।" बीरबल के यह कहते ही दूसरा आदमी अचानक ही बोल पड़ा, "जहांपनाह, वह इतनी जल्दी लौटकर नहीं आ सकता है।" "लेकिन तुम यह कैसे कह सकते हो ?'" बीरबल ने झट से सवाल कर दिया, " यह बात तुम इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो कि वह इतनी जल्दी नहीं आ सकता?"

"हुजूर, मुझे मालूम है, बबूल का वह पेड़ यहां से छः कोस दूर है।" दूसरे आदमी के डतना कहते ही बीरबल की आंखें चमक उठी, "जहांपनाह, यह आदमी ही अपराधी है। इसी ने अशर्फियां ली हैं, तभी तो इसे पता है कि बबूल का वह पेड़ यहां से छ: कोस दूर है।"

शहंशाह अकबर ने बीरबल की बुद्धि और चतुराई की तारीफ करते हुए फैसला सुनाया, "पहला आदमी सच्चा है और दूसरा आदमी झूठा है। दूसरा आदमी पहले को सौ के बदले डेढ़ सौ अशर्फयां देगा । ' दूसरे आदमी को बीरबल की चतुराई से सबक मिल गया था |

Baccho Ke liye Hindi Kahaniyan :

No comments:

Post a Comment