Thursday, October 15, 2020

Top 10 Moral Stories in Hindi For Kids

Today we have written Top 10 Moral Stories in Hindi. These stories are for kids which gives moral to kids.


Top 10 Moral Stories in Hindi
Top 10 Moral Stories in Hindi


 Top 10 Moral Stories in Hindi 

    चालाक बनिया  | Moral stories in Hindi for kids


    शहंशाह अकबर फूर्सत में थे बीरबल पास में ही बैठे हुए  थे  शहंशाह के दिमाग में अचानक ही एक सवाल आ गया, "बीरबल, सुना है कि बनिया बहुत समझदार होता है।" शहंशाह के यह कहते ही बीरबल बोले, "हां हुजूर, चतुराई में उनका कोई जवाब नहीं।" "तो क्या तुम यह साबित कर सकते हो?" शहंशाह यह कहते-कहते चुप हो गए। भला बीरबल बादशाह के हुक्म को कैसे नकार देते? बीरबल कुछ बनियों से मिले और कुछ चतुर बनियों को चुनकर बादशाह के सामने ले आए से कहा, "जहांपनाह, आप जिनकी बुद्धिमानी देखना चाहते हैं, वे सब दरबार में हाजिर हैं।" बनिए कुछ समझ नहीं पा रहे थे। वे डरे-सहमे एक तरफ खड़े थे कि आखिर मामला क्या है? इसी बीच बादशाह ने मुट्ठी खोली और उड़द की साबुत दाल दिखाते हुए बोले, “हमारी हथेली पर यह क्या है?" बनिए तो देखते ही जान गए कि शहंशाह की हथेली पर उड़द की दाल है। उनसे इतनी सहज बात पूछी जा रही है, अवश्य कोई खास बात है, यह सोचकर उन बनियों में से किसी ने मूंग की दाल, किसी ने अरहर की दाल और किसी ने मसूर की दाल बताई। शहंशाह क्रोधित हो गए और गरजती आवाज में बोले, "बेवकूफों, यह उड़द की दाल है। बस इसी जानकारी पर बुद्धिमान बनते हो? बोलो, यह उड़द की दाल है या नहीं?" बनियों ने समवेत स्वर में कहा, "जी हां.... जी हां, जहांपनाह, वही है।" बनियों का समूह जी हजूरी करता हुआ बोला, "हां, जहाँपनाह, आपने जो कहा, वही है।" बादशाह गुस्से से तमतमा गए और बीरबल की ओर आग्नेय निगाहों से देखने लगे। हाजिरजवाब बीरबल बोले, "जहांपनाह , देखा आपने, बनियों की यही तो बुद्धिमानी है। इन्होंने पूरा प्रयास किया और हर प्रकार से आपकी 'हां-में-हां' मिलाई, ताकि आपके सवाल में कोई रहस्य हो तो उसके कहर से बच जाएं।" बीरबल के इस तर्क ने शहंशाह का दिल जीत लिया और वह मान गए कि बनिए वास्तव में ही बड़े चतुर होते त हैं। इसके बाद शहंशाह ने बनियों को बाइज्जत दरबार से विदा किया।


    शातिर दिमाग मुंशी | moral stories in Hindi for class 1


    शहंशाह अकबर ने एक मुंशी को चुंगी अधिकारी बना दिया। वह मुंशी बहुत ही प्रसन्न हुआ और की ढेरों प्रशंसा करके चला गया। कुछ दूरी पर बादशाह ही बीरबल बैठे थे। मुंशी के जाने के बाद वह बोले, “हुजूर, वह मुंशी बहुत ही चालाक, धूर्त और बेईमान जान पड़ता है। देखना, वह बेईमानी करने से बाज नहीं आएगा। "बादशाह ने बीरबल की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया। बीरबल का शक सच साबित हुआ। बादशाह के पास मुंशी की शिकायतें आने लगीं कि मुंशी रिश्वत लेता है और प्रजा को बहुत ही तंग करता है। बिना रिश्वत लिए किसी से भी बात नहीं करता है। बादशाह सलामत ने मुंशी का तबादला वहां कर दिया जहां बेईमानी करने की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। वह मुंशी अधिकारी से घुड़साल का मुंशी मुकर्रर कर दिया गया। अब मुंशी का काम घोड़ी की लीद तोलना था, लेकिन जहां चाह होती है वहां राह निकल ही आती है। मुंशी ने वहां भी अपनी आदत न छोड़ी और रिश्वत लेने शुरू कर दी। मुंशी साइसों से बोला, "तुम सब घोड़ों को दाना कम खिलाते हो, इसीलिए मुझे लीद तोलने को भेजा गया है, यदि तुम्हारी लीद तोल में कम बैठी तो मैं शहंशाह से शिकायत कर दूंगा।" साइस यह सुनकर डर गए मुंशी को प्रति घोड़ा एक रुपया देने लगे। बादशाह के पास मुंशी की शिकायत पहुंची तो उन्होंने यमुना नदी की लहरें गिनने का काम उसे सौंप दिया। यहां पर बेईमानी का कोई काम नहीं था। मुंशी बेईमानों का बेईमान था। यहां भी उसने कमाई का रास्ता ढूंढ निकाला। अब मुंशी ने नावों को रोकना शुरू कर दिया और कहने लगा, "रुको, मैं अभी लहरें गिन रहा हूं।" बेचारे नाविक जब नावों को रोक-रोककर परेशान हो गए तब उन्होंने मुंशी को प्रतिमाह 10 रुपए देने प्रारंभ कर दिया। दरबार में जब यह खबर पहुंची कि मुंशी नाविकों से पैसे वसूलता है तो शहंशाह ने हुक्म जारी किया कि नावों को न रोका जाए और उन्हें जहां जाएं जाने दिया जाए। शातिर दिमाग मुंशी कहां किसी बंदिश और नियम को मानने वाला था। यहां भी उसने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर एक तख्ती को तट पर यह लिखकर लगा दिया- 'रोको, मत जाने दो।' यह द्विअर्थी वाक्य शहंशाह के हुक्म का भी पालन कर रहा था और मुंशी को भी । रिश्वत दिलवा रहा था। बादशाह के पास फिर भी मुंशी की शिकायतें पहुंचने लगीं तो उन्होंने उस मुंशी की हरकतों से तंग आकर उसे नौकरी से हमेशा के लिए हटा दिया और बीरबल से कहा, "बीरबल, हमने तुम्हारी बात नहीं मानी। तुम्हारा कहना सही था कि यह मुंशी जरूरत से ज्यादा होशियार और बेईमान लगता है।" यह सब कहकर शहंशाह ने बीरबल के जिम्मे कर्मचारियों को जांचने-परखने का काम लगा दिया।



    अपना वायदा भूल गया होगा | moral stories in hindi for class 2


    बीरबल से एक बार शहंशाह अकबर इतना प्रसन्न हुए कि उन्होंने बीरबल को इनाम में जागीर देने का निर्णय कर लिया। बीरबल के बुद्धिमत्तापूर्ण कार्यों से खुश होकर शहंशाह अकबर ने जागीर देने की बात तो कह दी लेकिन बाद में उनका बादशाह बीरबल की बात अनसुनी कर दूसरों की बातों में लग गए। बीरबल को बहुत बुरा लगा और वह अब मौके की तलाश में रहने लगे। एक दिन मौका आ ही गया। बादशाह बीरबल के साथ सैर पर निकले। रास्ते में उन्होंने ऊंट देखा तो बीरबल से सवाल कर दिया, "बीरबल, ऊंट की इरादा नवल गया वीरबल ने वो-तीन बार शहंशाह को उनका फैसला ग्राव भी विलाया लेकिन बादशाह बीरबल को अब जागीर वैना नहीं चाहते थे। एक रोज बीरबल ने कहा, "हुजूर, मेरी जागीर का क्या हुआ?"गर्दन टेढ़ी क्यों है?" बीरबल ने जवाब में कहा, "जहांपनाह, यह भी किसी को पिछले जन्म में जागीर देने का वायदा करके भूल गया होगा।'' बीरबल के इतना कहते ही शहंशाह शर्मसार हो गए और उसी समय उन्होंने बीरबल को जागीर देने की घोषणा कर दी।


    पूनम और दूज का चांद | moral stories in hindi for class 3


    एक बार बीरबल अपने किसी काम से काबुल गए।उनकी वेशभूषा देखकर लोगों ने यहां के बादशाह को शिकायत कर दी। काबुल के बावशाह के सैनिक बीरबल को दरबार में लेकर आए। काबुल के बावशाह ने उनसे पूछा, "आप कौन हैं और यहां किस मकसद से आए है?" "मैं एक मुसाफिर हूं देश विवेश की यात्रा करता रहता हूँ।" काबुल के बादशाह ने कहा, "तब तो तुम्हें देश-विदेश के अनेक राजाओं के बारे में पता होगा । बताओ, तुमने कहीं हमारे जैसा बावश्यह देखा है?" बीरबल सिर झुकाकर बोले, "हुजूर, आप तो पूनम के चांद हैं। आप जैसा अन्य बादशाह भला कौन हो सकता है।" काबुल का बादशाह मन-ही-मन खुश होता हुआ बोला, "हम पूनम के चांद हैं तो तुम्हारा बादशाह क्या है?'' बीरबल सीना तानकर बोले, "हुजूर, हमारा शहंशाह तो दूज का चांद है।" काबुल का बादशाह स्वयं को पूनम का चांद समझकर खुशी के मारे गद्गद हो गया और बीरबल को छोड़ दिया और सादर अपने दरबार में बैठाया। दूसरे विन बीरबल को वस्त्राभूषणों से नवाज कर विदा किया।बीरबल वहा से दिल्ली पहुंचे तो उन्होंने अपने मित्रों को यह बात सुनाई। यह बात एक मुंह से दूसरे मुंह होते शाही दरवार तक भी पहुंच गई। बीरबल से जो दरवारी ईर्ष्या करते थे उन्होंने इस बात को नमक-मिर्च लगाकर बादशाह अकबर के सामने पेश कर दिया। अकबर बादशाह को यह वात बड़ी ही बुरी लगी। अगले दिन वीरवल दरबार में पधारे तो शहशाह ने बीरबल से कहा, "बीरबल, हम क्या सुन रहे हैं। तुम काबुल गये थे। बताओ, तुमने यहां के सुलतान से क्या कहा है?" बीरबल ने बादशाह सलामत को महाँ की सारी बातें कह सुनाई। अकबर बादशाह नाराज होते हुए बोले, "बीरबल, काबुल के बादशाह को पूनम के चांव की तरह बड़ा और हमें व्रज के चांद की तरह छोटा बताकर तुमने हमारी बेइज्जती नहीं की है?" बीरबल सहज भाव से ही बोले, "बादशाह सलामत, आप यह क्या कह रहे हैं। मैंने तो वहाँ आपका गुणगान ही किया है। पूनम का चाव कितना ही बड़ा क्यों न हो उसे कोई भी महत्व नहीं देता और वह तो अगले दिन सेघटने लगता है। पल-पल पटने वाली चीज तो हर धर्म में अशुभ, तुच्छ और त्याज्य मानी जाती है। दूज का चांद  चाहे कितना भी छोटा हो लेकिन हिन्दू और मुसलमान दोनों ही बड़े आदर भाव के साथ उसका दर्शन करते हैं। मुस्लिम महीना दूज से ही शुरू होता है, हिंदू लोग दुज के चांद को शुभ मानकर उसी दिन शुभ कार्य की शुरुआत  करते हैं। इन सबसे बड़ी बात यह है कि दुज का चाँद दिन प्रतिदिन बढ़ता ही है। जहाँपनाह, अब आप ही बोलिए कि काबुल के बादशन को पूनम का चांद और आपको दूज का चांद कहकर ने किसकी प्रशंसा की है?'' बीरबल को बादशाह ने उठकर गले से लगा लिया और कहा, 'मुझे पता है, बीरबल तुम जहाँ भी जाओगे, वहां मेरी प्रशंसा ही करोगे।' बीरबल से जलने वाले दरबारियों का मुंह इतना-सा हो गया और जो दरबारी बीरबल की पसंद करते थे, वे तालियां पीटकर उनकी तारीफ करने लगे। बीरबल की यही तो विशेषता थी कि वह बहुत ही सोच-समझाकर बातें करते थे और मौका आने पर अपनीबात को सिद्ध करके दिखा भी देते थे। 


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    कुछ भी नही बचा | moral stories in Hindi for class 4


    अपने सवालों के लिए प्रसिद्ध बादशाह अकबर दरबार आए तो बीरबल कही नजर नहीं आए उन्होंने दरबारियों से पूछा, "बताओ, 27 से १ गए तो क्या शेष रहा?" दरबारी मन-ही-मन सोचने लगे कि बादशाह यह क्या पूछ रहे हैं। क्या हम लोग कोई बच्चे हैं कि इतना आसान सवाल हल नहीं कर सकेंगे?" सभी  दरबारियों ने एकही जवाब दिया, "हजूर 27 में से 9 निकल जाने पर 18 बचे। यह तो सबको ही मालूम है।" बादशाह मुस्कराए, फिर बीरबल के आने का इंतजार करने लगे। इतने में बीरबल दरबार में आ खड़े हुए। शहंशाह ने उनसे भी यही सवाल कर दिया।बीरबल जबाब में बोले, "हजूर, कुछ भी नहीं बचा | " बीरबल का यह जवाब सुनकर सब आश्चर्य में पड़ गए | उनके जवाब से कोई भी संतुष्ट नहीं दिखा तो बीरबल आगे बोले, "इसमें हैरान होने की कोई बात नहीं है। २७ नक्षत्र सालभर में होते । इनमें से नौ नक्षत्र जो है, वे बयाँ चतु में होते हैं। यदि इन नक्षत्रों को निकाल दिया जाए तो जो बच्चे उनसे तो इस संसार का कोई मला नहीं होने वाला, इसीलिए मैंने कहा कि 27 में से के चले जाने पर कुछ भी नहीं बचा।' शहंशाह अकबर बीरबल का जवाब सुनकर अत्यंत ही प्रसन्न हुए और इसके लिए उन्हें इनाम भी दिया।


    सच्चाई के मसीहा बीरबल | moral stories in Hindi for class 5


    बादशाह अकबर दरबार में आकर अभी बैठे ही थे कि तभी दरबार में एक हत्या का मामला आ गया। बादशाह को बड़ा ही बुरा लगा कि आज की शुरुआत हत्या के मामले से हो रही है। बावशाह ने हुक्ष्म निया, “यह हत्या का मामला है। इसमें जल्दबाजी करना ठीक नहीं होगा। इस मामले की सुनवाई अगले दिन होगी।" अपराधी को मौका मिल गया। वह दूसरे दिन वरबार लगने से पहले ही बीरबल के घर पर पहुंच गया और दरबार के लिए तैयार हो रहे बीरबल के आगे गिड़गिड़ाने लगा, "हजूर, आप बुद्धिमानों के बुद्धिमान हैं। मैं बड़ी आशा लेकर आपकी शरण में आया हूं। मेरी फासी की सजा उप्र कैद में तब्दील हो जाएगी तो मेरे परिजन आपका यह उपकार जीवन भर नहीं भूलेंगे।" बीरबल यह सब सुनकर अवाक रह गए। अपराधी आगे बोला, "हजूर, मेरी आपसे प्रार्थना है कि मेरी तरफ से आप ही वहस करें।" बीरबल ने जवाब में कुछ नहीं कहा। मामला दरबार में पेश हुआ। बादशाह अकबर ने अपराधी को उम्र कैन की सजा सुनाई। अपराधी आश्चर्यचकित भी हुआ और खुश भी हुआ। वह घोरे-धीरे चलकर बीरबल के नजदीक आया और बोला, "हजूर, लाख-लाख शुक्रिया, आपने मेरी फासी की सजा उम्र कैद में करवा दी, में आपका ताउम्र मणी रहूंगा।" यह सुनकर बीरबल बोले, "हां, मुझे इस मामले में बड़ी दिक्कत उठानी पड़ी। जहांपनाह तो तुम्हें निर्दोष समझकर छोड़ने जा रहे थे। मेरे बार-बार समझाने पर उन्होंने तुझे उम्र कैद की सजा दी। क्योकि केवल पता है कि तुमने अपराध किया है और तुमने मेरे पर पर अपना अपराध कबूल भी किया है।" हकीकत यही थी। अपराधी यह सुनकर हाप्रभ रह गया। वह माया पोटकर रह गया कि बीरबल के सामने उसने अपना अपराध आखिर कबूल क्यों किया? . 


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    सबसे बड़ा बच्चा | moral stories in Hindi for class 6


    शहंशाह अकबर और बीरबल महल के सामने वाले बगीचे में टहल रहे थे और आपस में वातचीत भी कर रहे थे। तभी बावशाह सलामत के मन में एक विचार आया और उन्होंने बीरबल की ओर देखते हुए कहा, "बीरवल, क्या तुम्हें मालूम है. इस दुनिया में सबसे बड़ा कौन है?" बीरबल धर्म संकट में पड़ गए। उन्हें इस बात का भी बोध था कि बादशाह सलामत उनके मुख से कहलवाना चाहते हैं कि सबसे बड़े वही हैं। बीरवल बोले, "जहांपनाह , सबसे बड़ा एक अबोध बच्चा होता है। बादशाह बीरबल के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। वह वीरवल से बोले, "बीरबल, हम तुम्हारे जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। तुम्हें अपनी बात सिद्ध करनी होगी।'' बीरबल ने कहा, "जहांपनाह . मुझे अपनी वात साबित करने के लिए कुछ दिन का समय चाहिए।" बादशाह अकबर ने बीरवल को समय दे दिया। वीरवल अपनी बात साबित करने के लिए डेढ़ वर्षीय एक बच्चे को लेकर बादशाह के सामने आए। वह बच्चा ही होता है। बहुत ही सुंदर और गोल-मटोल था। बादशाह की नजर उस बच्चे पर जैसे ही पड़ी वह सिंहासन से उठ खड़े हुए और बच्चे को गोद में ले लिया और ताड़-प्यार करने लगे। इसी बीच हाथ-पांव मारते मारते बच्चे ने बादशाह सलामत की दाढ़ी मुट्ठी में बांधकर खींच ली, जिससे बादशाह अचानक ही झुंझला पड़े, "बीरबल, यह बच्चा तो बड़ा ही शतान है। बच्चे को यहां लाने की क्या जरूरत थी?" बीरबल अच्छा अवसर देखकर बोले, "जहांपनाह, आप दुनिया के लोगों से कितने भी बड़े क्यों न हों, पर इस समय से यह बच्चा ही आपसे बड़ा है। अगर यह सच न होता तो यह वच्चा आपकी दाढ़ी खींचने का माहस ही नहीं कर पाता। हुजूर, ऐसा दुस्साहस तो एक बच्चा ही कर सकता है, क्योंकि एक बच्चा ही तो है, जो निर्भय होता है। वह आग, पानी, मौत किसी से भी नहीं डरता है।" बीरबल के इस तर्क के आगे शहशाह अकबर को यह मानना ही पड़ा कि दुनिया में सबसे बड़ा बच्चा होता है ! 


    सबसे ज्यादा सफ़ेद कौन ?|  moral stories in Hindi for class 7


    दरबार में बैठे दरबारियों से बादशाह अकबर ने सवाल कर दिया, "किसी को मालूम है सबसे अधिक सफेद कौन है?" दरबारी आश्चर्य से एक-दूसरे का मुंह देखने लगे । एक दरबारी बहुत सोचने और बहुत सिर मारने के बाद बोला, "बर्फ, जहांपनाह। दूसरे दरबारी ने कहा,"हुजूर, कपास।' तीसरे दरबारी ने कहा, "जहांपनाह, दूध।" सबने अपनी-अपनी सोच व बुद्धि के अनुसार सफेद वस्तुओं के नाम बताए। अधिकांश दरबारियों ने कपास और दूध को ही सबसे अधिक सफेद माना। बादशाह अकबर भी इससे काफी कुछ हद तक सहमत थे। लेकिन बीरबल सबसे अलग-थलग थे और अभी तक समझ नहीं सके थे कि सबसे अधिक सफेद चीज क्या हो सकती है? बीरबल अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बोले, "जहांपनाह, मेरी नजर में तो सूर्य का प्रकाश सबसे अधिक सफेद और चमकीला होता है। वह घोर अंधकार में भी साफ दिख जाता है।" उन्होंने बीरबल से कहा, "बीरबल, क्या तुम अपनी बात को साबित कर सकते हो?" "हां, मेरे मालिक, लेकिन मुझे अपनी बात को साबित करने के लिए 24 घंटे का समय चाहिए।" बीरबल के यह कहने पर शहंशाह ने उन्हें 24 घंटे का समय दे दिया। दूसरे दिन दोपहर में बादशाह अकबर आराम फरमा रहे थे। बीरबल एक बर्तन में दूध और पांच-छह कपास के खिले हुए फूल कमरे के दरवाजे पर रख आए। कमरा चारों तरफ से बंद था और सुरज की रोशनी के अंदर जाने के लिए कोई भी खुली जगह नहीं थी। बीरबल ने यह काम छुपकर गुप्त तरीके से किया था। आराम करने के बाद शहंशाह जैसे ही उठकर दरवाजे के पास आए, उनके पैर की ठोकर लगते ही दूध का बर्तन उलट गया और सारा दूध फर्श पर फैल गया। दरवाजा खुलते ही सूरज के प्रकाश से कमरा भर गया और शहंशाह अकबर को दरवाजे के पास कपास के फूल और एक बर्तन देखकर बहुत ही आश्चर्य हुआ। वह कमरे के बाहर आ गए। बीरबल कुछ दूरी पर नजर आ गए। शहंशाह समझ गए कि इन सबके पीछे बीरबल का हाथ है। बादशाह आगे बढ़ते हुए बोले, "बीरबल, यह सब करने के पीछे तुम्हारा मकसद क्या है?'" बीरवल ने सिर झुकाकर कहा- 'हुजूर आप भूल गए। कल आपने ही तो कहा था कि अपनी बात साबित करके दिखाओ। आज मैंने आपके उसी आदेश का पालन किया है। हजूर, मैंने अपनी बात को साबित कर दिया है। जहांपनाह, अव तो आप समझ ही गए होंगे कि इन तीनों में से सबसे अधिक सफेद और चमकीला कौन है? दूध और कपास को मैंने यहां इसलिए रखा कि उनकी सफेदी पर किसी को भी शक नहीं है। फिर भी आपने इन्हें नहीं देखा। जहांपनाह, अब तो आपको यह मानना ही होगा कि सूरज का प्रकाश ही सबसे अधिक सफेद, उज्ज्वल और चमकीला है, क्योंकि आपने जैसे ही दरवाजा खोला सूरज का प्रकाश अंदर फैल गया और आपको सब चीजें नजर आने लगीं।" बादशाह अकबर यह सुनकर और देखकर मुस्कराए, फिर दरबार में आकर सबको बताया कि बीरबल का ही जवाब सही है। सबसे अधिक सफेद और चमकीला सुर्य का प्रकाश ही है। फिर तो दरबारियों ने भी बीरबल की प्रशंसा की और बादशाह ने बीरबल को मोतियों की एक माला भेंट करके उन्हें सम्मानित किया।


    -> Akbar Birbal story in Hindi


    कितने दिन जीना है | moral stories in Hindi for class 8


    बीरबल अकबर बादशाह की हर समस्या के जवाब थे। बादशाह आए दिन उनकी बुद्धि की परीक्षा लेते ही रहते थे ताकि बीरबल अपनी बुद्धि और समझ में अधिक से अधिक विकास कर सकें। बादशाह ने एक दिन एक साधु को बीरबल के पास उनके बुद्धि -बल की परीक्षा लेने के लिए भेजा। अकबर बादशाह भी.वेश बदलकर पास में ही एक जगह छुप गए। साधु से बीरबल के नजदीक आकर कहा, "वत्स, तुम बीरबल हो न? भगवान ने सपने में मुझसे कहा है कि मैं अपने जीवन भर के लिए धन तुमसे ले लूं" | बीरबल साधु के ऐसा कहने पर आश्चर्य में पड़ गए और अगले ही पल समझ गए कि यह कोई ढोंगी साधु है, जो मुझे ठगना चाहता है। बीरबल बोले, "अच्छी बात है भगवन, मैं आज रात भगवान से सपने में यह पूछ लेता हूं कि अब आपने और कितने दिन जीना है, तभी तो मैं तुम्हें उचित धन दे सकूंगा।' साधु बीरबल का चतुरतापूर्ण जवाब सुनकर दंग रह गया। उसके पास अब कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था। पास में ही छुपे अकबर बादशाह भी बीरबल का जवाब सुन चुके थे। वह हंसते हुए बीरबल के नजदीक आ गए। बीरबल समझ गए कि यह सब बादशाह सलामत का ही किया धरा था। बादशाह अकबर बीरबल की पीठ पर हाथ रखते हुए कहने लगे, "बीरबल, तुम्हारी समझ और बुद्धि का कोई जवाब नहीं। चलो अब हम दरबार में चलते हैं।" बीरबल अकबर के साथ दरबार की ओर बढ़ चले।


    बेरहम माँ | moral stories in Hindi for class 9


    दरबार लगा हुआ था। शहंशाह दरबारियों से राज्य के हालात पर बातचीत कर रहे थे। इतने में एक औरत हवा के झोंके की तरह चीखती-चिल्लाती हुई दरबार में आ गई। शहंशाह अकबर सहित दरबारी भी चौंक गए। एक दरबारी ने उस औरत को देखते हुए पूछा, "'क्या परेशानी है? तुम बदहवास-सी इतना दुःखी होकर क्यों रो रही हो?" वह औरत बोली, "मेरी पड़ोसिन ने मेरे बेटे का कत्ल कर दिया है।' बादशाह अकबर हुक्म दिया कि उस पड़ोसिन को पकड़कर फौरन दरबार में हाजिर किया जाए। सैनिकों को सैनिकों ने पड़ोसिन को दरबार में लाकर हाजिर किया। शहंशाह ने पड़ोसिन को घूरते हुए पूछा, "क्या तुमने इस औरत के बेटे का कत्ल किया है?" पड़ोसिन यह सुनकर सहम ही नहीं गई, घबरा भी गई और बोली, "मेरे माई-बाप, मैं अपराधी नहीं हूं। मैंने इस औरत के पुत्र को नहीं मारा है। अवश्य कोई मेरा शत्रु है, जिसने स्वयं इसके पुत्र की हत्या कर  उसका शव मेरे बिस्तर पर रख दिया।" शहंशाह ने बीरबल को हुक्म दिया कि वह अपनी सूझबूझ से इस मामले को सुलझाएं। बीरबल कत्ल के इस मामले को सुलझाने के लिए उस जगह गए जहां इन दोनों औरतों के घर थे। बीरबल को आस-पास से मालूम हुआ कि जिस स्त्री के पुत्र की हत्या हुई है , वह अपनी पड़ोसिन से अक्सर ही लड़ती-झगड़ती रहती है, इसके साथ ही वह औरत बदमिजाज भी है । लेकिन पड़ोसिन बहुत ही सीधी-सादी और चरित्रवान औरत है। इसके साथ ही बहुत निर्धन भी है। बीरबल इस मामले की पुरी छानबीन करने के बाद वरबार में लौट आए और पड़ोसिन से खोले, "देखो, तुमने व्च्चे की हत्या नहीं की है तो तुम इस भरे बरबार में अपने सारे वस्त्र उतार दो।" पड़ोसिन यह सुनकर घवरा गई और कहने लगी. "बादशाहों के बादशाह, आप मेरी जान ले सकते हैं, पर मुझसे भरे दरबार में कपड़े उतारने को न कहें मेरे पास बस मेरी इज्जत ही तो है।" बीरबल ने अब उस औरत की ओर देखा, जिसके बच्चे का कत्ल हुआ था और आगे बढ़ते हुए बोले, "देखो, अगर तुम्हें पूरा विश्वास है कि तुम्हारे वच्चे का कत्ल पड़ोसिन ने ही किया है तो तुम भरे दरबार में निर्वस्त्र हो जाओ।" उस औरत ने देखते-ही- देखते अपने बदन के सारे कपड़े उतारकर जमीन पर रख दिए। बीरबल अचानक ही मुस्करा पड़े और सैनिकों से कहा, "इस निर्वस्त्र स्त्री को पेड़ से उलटा लटका दो और उसके नीचे लाल मिर्च रखकर आग लगा दो। वास्तव में ही यह औरत बहुत ही क्रूर, कठोर तथा दुश्चरित्र है। मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हू कि अपने पुत्र का कत्ल भी इस दुष्ट और चरित्रहीन औरत ने ही किया है।" अकबर बावशाह का भी खून गुस्से से उबल पड़ा और गुराती आवाज में बोले, "यह औरत निहायत ही घटिया, जालिम है और इंसानों की बस्ती में रहने लायक नहीं है। हमारा हुक्म है कि इसे उम्र भर के लिए काल कोठरी में डाल दिया जाए।" बादशाह के फैसले से सभी बहुत ही प्रसन्न हुए शहंशाह ने बीरबल को शाबाशी दी और उनके इस बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य के लिए उनको ढेरों बधाइयां भी दीं।

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